________________ विक्रम चरित्र प्रियंगुमंजरी-आप कैसा आम खाना चाहते है ? गरम या ठंडा ? . वेदगर्म–में गरम फल खाना चाहता हूँ. प्रियंगुमंजरी-अच्छा लीजिये, ऐसा कह कर राजकुमा... रीने अपने झरोखे से आम नीचे गिरा दिया. झरोखेसे आम इस चतुराईसे डाले कि पंडितजी के वस्त्र में न पड़कर धूलवाली जमीन पर गिर पडे. वेदगर्भ उन्हें उठा कर उनकी धूल फूंकने लगे यह देखकर प्रियंगुमंजरी ने हास्य करते-व्यंगपूर्वक विनोद करते हुए कहा, “गुरुदेव क्या आम अधिक गर्म है ? जिससे आप उन्हे मुखसे फूंक मार मार कर ठंडा कर रहे है ?" इस बात को सुनकर पंडितजी अप्रसन्न हो गये, और उन्होंने अपना यह अपमान समझ राजकुमारी को शाप दिया, " हे राजकुमारि ! तुमने अपने गुरु का अपमान किया है इस लिये तुम्हें एक गोपाल एवं मूर्ख पति मिलेगा." ऐसा कह कर पंडित वेदगर्भ वहाँसे चल दिये. अपने गुरुदेव के मुख से शाप सुनकर वह दुःखी हुई. साथ ही मन में यह निश्चय किया. " में सर्व विद्या विशारद के साथ ही विवाह करूँगी, अन्यथा अग्नि में जलकर मर जाऊँगी.” . समय धीरे धीरे व्यतीत होने लगा. इधर राजकुमारी प्रियंगुमंजरी दिनों दिन वृद्धि को प्राप्त करती हुई पूर्ण यौवनावस्थामें पहुँच गई. Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.