________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित समय फलकर विश्व को तृप्त करता है.. ऐसे सुन्दर समय में एक दिन मध्याहन में प्रियंगुमंजरी अपने महल के झरोखे में बैठी हुई आमों का रसास्वादन कर JITAL HTTE YYYYYWWY LJI-LFIER -IN PRETRIETRan PAK RRENTRIESSERIES MOVE ATM Title Vis RJEE . MAESE. SJohnny राजकुमारीने अपने गुरुको आते देखा. चित्र नं. 1 रही थी. ठीक उसी समय प्रियंगुमंजरी के गुरु श्री वेदगर्भ कहीं से आ रहे थे. कडी धूप में चलने से थक कर उसी झरोखे के नीचे छाया में वैठे. प्रियंगुमंजरीने अपने गुरु को नीचे बैठे हुए देख कर, प्रश्न किया, "हे गुरुदेव ! आप यहाँ कैसे विराज रहे है? आप की क्या इच्छा है ? कृपया मुझे कहिये.” वेदगर्भ-हे राजकुमारी ! मुझे आम खाने की इच्छा है. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust