________________ प्रकरण 61 . . . . . . . . . . . पृ. 524 से 536 . कोची हलवाइन के वहां महाराजा का पहूँचना कोची हलवाईन के वहां महाराजा का जाना, कोची उनको पहचान लेती है, स्नानादि करा कर चूपचाप एक पेटी में बेटने को कहती है, महाराजा वैसा ही करते हैं, थोड़ी ही देर में बुद्धिसागर मुख्य मंत्री मोरपी छी-लेखनी देकर पेटीपे बेटाती है, पेटी वहां से उडकर महारानी मदनमजरी के महल में आती है, मदनमंजरी बुद्धिसागर को प्रेमसरोवर में स्नान कराती है, महाराजा अपनी पत्नी और मंत्री का दुष्ट कृत्य देखकर लालपीले होते है किन्तु शांति नहीं छोडते. प्रातःकाल होने से पहले मत्रीश्वर पेटी पे बेठकर कोची के घर आते है, और मोरपीछी देकर, अपनी और मदनमजरी को ओर से नमस्कार कर जाता है, बाद में कोची हलवाईन महाराजा को पेटी से बहार निकाल कर क्रोधकी शान्ति के लिये उपदेश देती हैं, महाराजा उसको नमस्कार कर महल को आते है, दूसरे दिन वुद्धिसागर गत्री और रानी मदनमंजरी को देशनिकाल का दंड देते हैं. प्रकरण- 62. . . . . . . . . . . . पृ. 537 से 551 छाहड और रमा - एक पंडितने महाराजा को स्रोचरित्रा की कथा सुनाते कहा, रमाने अपने प्रियतम से मिलने के लिये अपने पति छाहड को कयसा बनाया, छाहड के मन में रमा के लिये अविश्वास पैदा हुआ. छाहडने एक सिद्ध पुरुष . से अमृतकुपिका प्राप्त की, जब वो बहार जाता तो रमा को भस्म कर P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust