________________ . पति को गले में नख देकर मार डाला, तत्पश्चात् भोग के लिये कहा, चोरने इन्कार करके दुसरे दिन इच्छा पूर्ण करने को कहा, यह देख महाराजा क्रोधित हुए. . . चौर जाने लगा तो रत्नम जरीने प्रवेशद्वारसे जाने को कहा, चोर जेसा प्रवेशद्वार के पास आया, उसी समय द्वार उस पर गिरा और यकायक वह वहीं मर गया. चोर को मरा हुआ देख कर रत्नमंजरी आंसु बहाने लगी, प्रभात में शोर मचा के पडोशी को इकट्ठे किये, झूठ बात कह कर चिता प्रवेश की बात कही, लोगों रत्नमजरी को चिता प्रवेश नहीं करने को समझाने लगे. . प्रातःकाल में कई लोगोंने महाराजा से बात कही, और रत्नम जरी की प्रशंसा की, महाराजाने ये सुनकर मन में हसते हुवे रत्नम जरी को मानपूर्वक स्मशान ले जाने को कहा. रत्नम जरी गुरु सन्मुख पाप-आलोचन कर अंतिम विधि कर घोडी पर सवार हुई, लोगों दर्शन के लिये दोडने लगे, रत्नम जरी नदी तट पर मणिभद्र यक्ष का मंदिर था वहां पहूँची. घोडी से उतरकर जनता को आशीर्वाद देती, भिक्षुको को दान देने लगी, महाराजा और महारानी आये, रत्नमंजरीने उन्हों को भी आशीर्वाद दिया, तत्पश्चात् महाराजाने रत्नमजरी के कानों में धीरे से रात का उस का चरित्र कहा, महाराजा सब कुछ जान चूके है, वह रत्नम जरी समझ गई और कहा, “राजा ! पापोदय से असा होता है, तुम्हें स्त्रीचरित्र जानना हो तो कोची हलवाईन के घर जाना" कहकर आशीर्वाद देकर चिताप्रवेश किया. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust