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________________ देता, और आता तब अमृतकुपिका से अमृत छांटकर रमा को जीवित करता, कितने दिनों के बाद उसको यात्रा जाने की इच्छा हुई. उसने रमा से बात कही उस की भस्म करके वृक्ष की शाखा के कोटर में गठडी बांधकर रखी और वह यात्रा के लिये चला गया, तत्पश्चात् एक ग्वाल वहां आया, उसने गटडी देखी, लेने गया तो भस्म में अमृतबिंदु पड गया. यकायक रमा जीवित हो गई, और उस ग्वालसे आनद-प्रमोद करने लगी. छाहड का आने का समय हुआ, रमाने जलाकर भस्म करने को ग्वाल से कहा, ग्वालने वैसा ही किया, भस्म की गठही बांधकर कोटर में रख दी, यात्रा करके छाहड आया रमाको जीवित किया. उसी समय उसके अंगसे बास आने लगी, खोज करते ही ग्वाल मिल गया. सब वृत्तान्त जाना, इससे छाहडने विरक्त होकर तापस से दीक्षा ले ली. रमा भी कुमार्ग सेवन से पाप उपार्जन कर दुःखदायक नर्क में गई. दूसरे पंडितने लोहपुर में रहनेवालों की धुर्तताकी बात कही, महाराजाने वह गांव देखने का विचार किया, पहले भट्टमात्र को भेजा, उसके बाद महाराजा चले, रास्ते में एक वन में ठडे और गरम पानी के कुंड देखे, वानरलीला भी देखी, आश्चर्य गरकाव हो खुदने भी अजमायस की, और आगे चले, रास्ते में चोर मिले, उनसे घोडा, खाट, गुदडी और थाली लेकर लोहपुर आये, घोडा बेचकर कामलता वेश्या के वहां रहे. वेश्याने / धन देनेवाली गुदडी और दूसरी चीजें महाराजा से पडा ली और घरसे बहार निकाल दिये, रास्ते में भट्टमात्र से मुलाकात हुई. उस को महारामाने सब वृत्तान्त कहा. दोनोंने मत्रणा कर जहां कुंड थे वहां गए और पानी लेकर कामलता वेश्या के वहां गये. युक्ति से कामलतापे पानी छांटकर बदरी बनाई, बाद में भट्टमात्रने महाराजा को योगीवेश पहना कर जंगल में बिठाये और वह आया कामलता के वहां. कामलता की अक्का कामलता बंदरी हो जाने से शोर मचा रही थी. भट्टमात्रने उस के पास आकर योगीराज की प्रशंसा की, वेश्या को वहां ले चला. योगीमहाराजने लुटी हुई चीजें P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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