________________ 298 विक्रम चरित्र पुत्रवधू की बुद्धिमत्ता से यह सब सम्पत्ति हुई है, और पूर्व जन्म में किये गये बुरे कर्म के फल को भोग कर अब सुखी हुआ हूँ. MA 53S Audur Munlo .in (चन्द्र नामके सरोवर पर महाराजा और मंत्रीश्वरका मिलन. चित्र नं. 22) . राजाने कहा, "पुत्रवधू की बुद्धिमानी से है ? कैसे व क्या हुआ ?" मंत्रीने पुत्रवधू की बुद्धिमानी और दूर-दर्शिताका सब हाल कह सुनाया. - राजाने कहा, "मैंने तुमको देश निकाला दे दिया था, इसलिये इस सम्पत्ति की प्राप्तिमें मेरी कोई कृपा नहीं है." ..... इधर उसी समय नगरमें पटह का शब्द सुनकर राजाने मंत्रीसे कहा, " इस नगरका राजा अभी क्यों पटह बजवा रहा है ? " तब मंत्रीने सब समाचार जानकर महाराजा विक्रमादित्य का कहा, "पहले इस नगरमें एक ऐन्द्रजालिक आया था, उस समय P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust