________________ 292 C विक्रम चरित मंत्री मतीसार का रत्नपुरमें जाना:- ... मंत्री अपने परिवार सहित दूर देश चला गया. क्रमशः जाते जाते वह कुटुम्ब के साथ कोई एक नगर के समीप पहुँचा. और विचारने लगा कि अब हमलोग किस प्रकार जीवननिर्वाह करेंगे वहाँ पर किसी मनुष्य से पूछा, "भाई! इस नगर का क्या नाम / है? और नीतिमार्ग से पालन करनेवाला राजा कौन है ? इसकी रानी तथा कुमार और कुमारी का क्या नाम है?" . तब वह मनुष्य कहने लगा, " यह रत्नपुर नामक नगर है, इस के राजा का नाम रत्नसेन है. और इसकी रानी का नाम रत्नवती है. चन्द्रकुमार नामक विद्वान् पुत्र है और कुमारी का नाम विश्वलोचना है." यह सब सुनकर मतीसार मंत्री उसी नगरी में धनोपार्जन का उपाय करने लगा. परन्तु इससे उनका निर्वाह न होता था. ठीक ही कहा है कि दरिद्र, रोगी, मूर्ख, प्रवासी और सेवक ये पांचों जीते हुए भी मरे तुल्य हैं. उस मंत्री का कुटुम्ब भूख से पीडित होकर परस्पर कलह नित्य करता रहता था. इस प्रकार कुटुम्ब को कलह करते देखकर, उस छोटी पुत्रवधूने कण्डे में से एक बहु मूल्य मणि निकाल कर निर्वाह के लिये अपने श्वसुरजी को दिया. अपने पतिदेव और उनके दोनों बड़े भाईयोंको भी एक एक वहु मूल्य रत्न दिया. ये लोग रत्न लेकर दूर देशोंमें व्यापारके लिये चले गये. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust