________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित नहीं किया परंतु यह कोई पूर्व जन्म के पापोंका ही फल है. क्यों कि 39IAN SE OS T-EN .. -- A .. - NM ICC AN (राजाज्ञानुसार मंत्रीश्वर का सकुटुंब अवती से प्रस्थान करना. चित्र नं. 21) किसी भी प्राणी के सुख अथवा दुःख का कर्ता या हर्ता कोई अन्य नहीं है; सब अपने अपने पूर्व जन्म के किये गये कर्मों का ही फल भोगते हैं. कोई कहते थे कि यह राजा नागदमनी से प्रेरित हो कर शिष्ट व्यक्तियों का भी इस प्रकार अपमान करता है. इस प्रकार नगरमें लोगो की तरह तरह की बातें सुनाई देती थी. 'एक वृद्धने कहा, "भाई ! सुनो मैं एक दोहरा सुनाता हूँ"जोगी किस का गोठिया, राजा किस का मित; वैश्या किसकी इसतरी, तीनों मित कुमित." P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust