________________ 288 हा विक्रम चरित्र करूँगा.' इस के बाद रात्रि होने आई तब उस गुहामें रहने के लिये एक सियाल आया. परन्तु गुहाके बाहर सिंह के चरण चिहन--पगले देखकर वह विचारने लगा कि इस गुहामें अवश्य पहिले सिंह गया होगा. इस लिये यहाँ रह कर गुहासे सिंह के आनेका समाचार पूछत' . यह सोच कर वह सियाल बोला, ' हे गुहे ! बोला तो अभी मैं अन्दर आऊँ या न ?' बाहरमें सियालका शब्द सुनकर सिंह सोचने लगा, 'यदि यह गुहा अभी नहीं बोली तो यह सियाल भीतर नहीं आयेगा, इस लिये मैं ही प्रत्युत्तर देता हूँ.' यह सोचकर सिंह बोला, ' हे सियाल ! आओ आओ शीघ्र चले आओ.' पुत्रवधूने रत्न कण्डोमे थाप दिये. 4 KISE SS || SA-ANI 10 K... .. सियाल गुहाको पूछने लगा. चित्र न. 19-20 P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust