________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित पुत्रियों के साथ हो चुके हैं. जिनमें सब से छोटे पुत्र धन की स्त्री अति बुद्धिमानी है..। "धार्मिक जन के ही होते हैं, विनयवान सुत सरल यहाँ, न्याय उपार्जित धन और सुन्दर-वधू भली मिलती ही कहाँ ?"; उन तीनों पुत्रों में छोटे पुत्रकी स्त्री सब पक्षीयोंकी भाषा भी जानती थी. श्वसुर और सासु की भक्ति करने में सदा तत्पर और चतुर थी. विना भाग्य के विनयी तथा पुण्यात्मा पुत्र प्राप्त नहीं होता है, वैसे ही विना भाग्य के न्यायमार्ग से उपार्जित धन और विनयवान पुत्रवधू भी प्राप्त नहीं होते. . एक दिन वह मंत्रीकी पुत्रवधू संध्या कालमें अपनी हवेली के ऊपर बैठी थी. उस समयमें पूर्व दिशामें अकस्मात् सियाल का शब्द सुनकर वह विचारने लगी, " क्या मेरे श्वसुर मतीसारको विना अपराधके आजसे छै महिनों के बाद राजा देश निकाल का दण्ड देगा ? अतः उसका कुछ उपाय सोचना चाहिये. क्यों कि जो भविष्य की चिन्ता करता है वह सुखी होता है, और जो भविष्य की चिन्ता नहीं करता वह अवश्य दुःखी हो जाता है. चतुर सियार-लोमडीकी कथा जैसे जंगलमें वसनेवाले सियार- लोमडी ने गुहाकी वाणी से अपनी आत्मरक्षा की. किसी वनमें एक सिंह रहता था. एक दिन भक्ष्य नहीं मिलने से भूखसे पीडित हो कर गुहामें आकर वह सोचने लगा, 'रात्रिमें इस गुहामें आकर पशु रहेंगे, तब में उनको खाकर अपनी भूख शान्त P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust