________________ छियालीसवाँ प्रकरण मंत्रीश्वरका देश निकाल व महाराजा का पाताल प्रवेश " उद्यम किजे जगतमें, मिले भाग्य अनुसार / मोती मिले कि शंख पर, सागर गोतामार // " पाठक गण ! आपने गत प्रकरणोंमें नागदमनी के आदेशानुसार महाराजा विक्रमादित्य द्वारा दिखाई गई महान् वीरता व साहस और अद्भुत आश्चर्यकारी-चमत्कारी कार्यों के विवरण को पढा. महाराजाने अपने इच्छित फल 'पंच-दंड वाले छत्र' की प्राप्ति के हेतु क्रमशः रत्नपेटी, सर्वरसदंड तथा वज्रदंड को प्राप्त किया. अब आप तीसरे आदेश का रोचक हाल पढ़ें. . महाराजा विक्रमादित्य ने पुनः नागदमनी को याद दिलाते हुए कहा, " हे नागदमनी ! अब तुम मुझे तीसरे आदेश-कार्य को बताओ-ताकि मैं उसे भी शीघ्र पूरा कर लूँ." . . इस पर नागदमनीने उत्तर दिया, " हे राजन! आपका मंत्री जो मतीसार हैं उसे अपने सकुटुम्ब के साथ देश निकाल दे दो." मंत्रीश्वर का पूर्व परिचयः मतीसार के तीन पुत्र हैं, जो उत्तम विद्वानों से शिक्षा आदि प्राप्त कर, स्वयं ही विद्वान बन गये हैं. इनके नाम क्रमशः सोमा चंद, और धन है. इन तीनों पुत्रों के विवाह बडे बडे धनीका 10 प्राप्त करताय विदा बन गये हैं. इनके नाम काममा सो P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust