________________ - विकम चरित्र 274 : उमादेवी के चरित्र जाननेका सोमशर्मा का यत्न / छात्र की ये सब बातें सुनकर वह ब्राह्मण लौट कर घर आया और पत्नी से कहने लगा, "मैं धन के लिये चन्द्र नामके गाँवमें जाता हुँ, प्रात: काल आ जाऊंगा." ऐसा कहकर वह रात्रिमें निर्भय होकर NE APIe1919Dilipmal 29DILDATE-. - - MARANKIN NER MADS. LATI ( सोमशर्मा धात्री के वृक्षपर जाकर गुप्त रूप में बैठ गया. चित्र नं. 16) उस धात्री के वृक्ष पर जाकर गुप्त रूपमें बैठ गया. रात्रिमें छात्र द्वारा बताये हुए सारे सारा दृश्य देख, पुनः प्रातःकाल घूमते घूमते घर आया. एकान्तमें उस छात्रसे कहने लगा, “तुम्हारे कथन के अनुसार रात्रि में मैंने सब दृश्य देखे है. अब किसी भी तरह अपने प्राण नहीं बच सकेंगे." विक्रम ने कहा, "तुम धैर्य रखो और साहस करो: तुम्हे विजयलक्ष्मी अवश्य प्राप्त होगी. चतुर्दशी की रात्रि में मैं जो कुछ करूं. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust