________________ FREE की विक्रम चरित्र: पर चढी और विशाल आकाश का लंघन करती हुई, अपने स्थान पर आकर पूर्ववत् सो गई. राजा विक्रमादित्य भी वृक्ष से उतर कर अपने प्राणों को बचाने का उपाय सोचता हुआ अपने स्थान पर आकर सो गयाः सोते हुए वह सोचने लगा " नागदमनी के कथनके अनुसार मैं गुप्त रूपसे इसका सब चरित्र देखेंगा!" .. प्रातःकाल उठ कर वह विक्रमादित्य जंगल जाने के लिये पण्डित सोमशर्मा के साथ बाहर गया और कहने लगा, " हे पंडितजी! आप कौन कौन शास्त्र जानते हो?" 'ब्राह्मणने कहा, " मैं अनेक शास्त्रोंको अर्थके साथ जानता हूँ, जसे लक्षण, अलंकार, छन्द, नाटक, गणित, काव्य, तर्क-न्यायशास्त्र और धर्मशास्त्र आदि." तब विक्रमने पूछा, "क्या आप अपना मरण भी जानते हो?" ..पण्डित सोमशर्माने कहा, " हे वत्स ! मैं अपना मरण कब होगा, यह तो नहीं जानता हूँ ___ तब विक्रमादित्यने कहा, " तब तुम क्या जानते हो ? यदि अपना मरण नहीं जाना तो दूसरा जाननेसे भी क्या लाभ !" ........ तब सोमशर्माने पूछा, "हे छात्र ! क्या तुम सद्गुरुके प्रसादसे मृत्युका सब विषय जानते हो?" ........ विक्रमादित्यने कहा, "हाँ, मैं गुरुको कृपासे मरण जानता हूँ." सोमशर्मा पूछने लगा, " मेरा मरण कब होगा ? वह कहाँ ?" P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust