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________________ लेना ही चाहिये कहा, महाराजाने गुरुदेव समक्ष सम्यक् आलोचना ली और पुण्य कर्म करने लगे, सो जिनालय और एक लाख जिन बिम्ब भी बनवाये. प्रकरण 57 . . . . . . . . . . . . पृ. 457 से 593 समश्या-पादपूर्ति लक्ष्मीपुर नगरके राजा अमरसिंह को एक पुत्र और पुत्री थी. पुत्र का नाम श्रीधर और पुत्री का नाम पद्मावती, बुद्धिशाली पद्मावती विद्वान थी साथ ही एक तोता भी पंडित था, दोनोंने अपनी बुद्धिमत्ता दिखाई. पुत्री जय विवाह योग्य हुई, तब तोता से मंत्रणा कर दूर देश के राजकुमारों को निमंत्रण दिया, चारों दिशा से आये हुवे राजकुमारों चारों दिशा में बैठे, तोताने क्रमशः राजकुमारों को भिन्न भिन्न समस्या कह कर पूर्ण करने को कहा, किन्तु सब आये हुए राजकुमारो का प्रयत्न निष्फल गया. कुछ दिनों के बाद तोता, राजकुमारी और मंत्रीश्वरादि योग्य वर की शोध में निकले, जहां जाते वहां समस्या कहते, किन्तु कोई पूर्ण कर नहि सकता. आखिर भ्रमण करते वे अवती में आये, तोताने महाराजा से वृत्तान्त कहा, महाराजा विक्रमादित्यने पादपूर्ति करके पद्मावती से लग्न किया. प्रकरण 58 . . . . . . . . . . . . पृ. 479 से 493 . गुलाव में कंटक पद्मावती के प्रेमपाश में बंधे हुए महाराजा से देवदमनी और अन्य रानियोंने पक्षपात की फरियाद की, और स्त्रीचरित्रमय कथा कहते हुवे मण्डक की, पद्मा की और रमा की कथा कह कर सत्य का दर्शन कराया, P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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