________________ N 268 विक्रम चरित्र उस उमादेवीने दण्डको तीन वार घुमाया और पतिका नाम लेती हुई उसकी शय्याके समीपमें आघात किया. इसके बाद हुँकार . करती हुई अपने घरसे बहार निकली. उसके पीछे पीछे चुपचाप साव'धानीसे राजा विक्रमादित्य भी निकला. घरसे कुछ दूरी पर एक धात्रीका. वृक्ष था उस पर उमादेवी अतिशीघ्र चढ कर वृक्ष पर दण्डसे तीन वार आघात किया. क्षणमें ही वह वृक्षके सहित उमादेवी आकाशमें उड गई. राजा दूरसे यह सब कुछ देख कर विस्मयपूर्वक वहाँ पर ही A HAMIT inR Mammy PAN . . : . उमादेवी वृक्षके सहित आकाशमें उड गई. चित्र नं. 15 खड़ा रहा. थोडी देर के बाद उसी वृक्ष पर चढ़ी हुई, वह ब्राह्मणकी स्त्री वापिस लौट आई. वृक्ष-पूर्वकी तरह अपने स्थान पर स्थिर हुआ और उमादेवी वृक्ष परसे निचे उतर कर अपने घर आई, राजा भी , चुपचाप उसके पीछे पीछे सावधानीसे घर आया. घरमें आकर सोये P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust