________________ पेंतालीस्वाँ प्रकरण / उमादेवी - पाक ". जगत के सभी पदार्थोंमें सद् और असद् का भेदभाव दिखाई दे रहा है, जैसे अमृत और विष, सज्जन और दूर्जन. उसी तरह नारी जातिमें श्रेष्ट और दूष्ट स्वभाव का भेद दिखाइ देता है. इस लिये एक अनुभवी कविने नीच स्वभाववाली नारीयों के लिये कहा है, ... “नारी विष की वेलडी, नारी नागन रूप; . नारी करवत सारीखी, नारी डाले भव कूप." पाठक गण ! आपने गत प्रकरणमें महाराजा विक्रमादित्य द्वारा नागदमनी के प्रथम आदेश को पूर्ण करने का हाल पढा. अब आप इस प्रकरणमें नागदमनी के द्वारा दूसरा आदेश की पूर्ति में महाराजा को क्या क्या करना पड़ा उस पर से नारी चरित्र का अनोखा मनोरंजन हाल पढ़ें. .अपने दूसरे आदेशमें नागदमनीने कहा कि " श्री सोपारक नगरमें सोमशर्मा नामके ब्राह्मण की उमादेवी नाम की प्रिय बोलनेवाली प्रिया-स्त्री है. उस नगर में जा कर उसका चरित्र स्वयं जान कर आओ." ऐसा सुनकर राजा विक्रमादित्यने शीघ्र ही उस और चल दिया. मार्गको काटता हुआ राजा श्री सोपारक नगरको सीमामें उपस्थित हुआ. अत्यन्त सुन्दर उद्यान और महलों को देखे. अनेक प्रकार के वृक्ष तथा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust