________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित 257 / इसके बाद राजा की आज्ञा से उस कन्या को घोडे पर चढ़ा कर जब वह वेश्या मार्ग में जा रही थी तब उस नगर के राजाने उस को देखा. उसका सुंदर रूप देख कर राजाने पूछा, " तुम किस की कन्या हो?" .. ... THA - - लक्ष्मीवतीका सुंदर रुप देखकर राजाने पूछा “तुम कीसकी कन्या हो ?" .. चित्र नं. 11 उस कन्याने उत्तर दिया, "मैं इसकी कन्या नहीं हूँ, यह वेश्या हैं और इसने मुझको छलकपट करके फंसा रखी है. इस नगर में दीन-दुःखी मनुष्यों का रक्षण करनेवाला कोई अच्छा मनुष्य नहीं है. राजा भी दीन और अनाथ आदि का पालन करनेवाला नहीं है. उसे कर्तव्य अकर्तव्य का जरा भी खयाल नही है. दुर्बल, अनाथ, वृद्ध, तपस्वी, अन्याय से पीडित आदि का रक्षक तो राजा ही हो सकता है." - P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust