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________________ 250 विक्रम चरिख mmmmmmmmmmmm कन्या राजाके पाँव दबाने लगी. थोडे ‘समय बाद दूरसे सिंहका शब्द सुनाई पड़ा. सिंहके शब्दको सुनकर राजकुमारी राजाको उठाने लगी. और कहने लगी, " यहाँ पर भयंकर शब्द सुन रही हूँ." तब राजाने उठकर सिंहका शब्द जिस दिशासे आ रहा था उसी दिशा में एक बाण फैंका और पुन: उसी स्थितिमें सो गया के कुछ कालके बाद वह कन्या पुनः बाधका शब्द सुनकर अत्यन्त डरती हुई राजाको जगाकर अत्यन्त गद्गद् कण्ठसे कहने लगी, "अब बाघका शब्द सुननेमें आ रहा है." तब राजाने उठकर बाघके शब्दकी दिशामें बाण मारते हुए बोला, "हे बालिके ! डरो नही." ऐसा कह कर निर्भय होकर पुनः सो गया. WEST ફ્લેખ महाराजा विक्रमने उठ कर शब्दकी दिशामें बाण मारा. चि. नं. 8 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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