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________________ तीनों अवती में आते हैं पत्नी और पुत्र को श्रीनशेठ की दुकान पास बीठा कर राजकुमार नौकरी की खोज में जाता है. उसी समय श्रीद् को ज्यादा विकरा होने से वह ये मा-लडके के पास आता हैं. उतने में राजकुमार भी आता है, और अवंती छोड कर जाने की बात करता है. श्रीद् शेठ उन्हों को अपने घर रखता है, रात में परिचय बढता है, साडी व घोडी इनाम में देता है. प्रकरण 55 . . . . . . . . . . . . प. 439 से 454 रूपचन्द्र की परीक्षा श्रीद् सेठ से रूपचन्द्र राजकुमार महाराजा विक्रम से मिलने का उपाय पूछता है. श्रीद् शेठ उस को रास्ता बताता है, किन्तु वह ठीक मालुम नहीं होने से खुद फलफलादि लेकर जाता है. पहेरगीर उस को राजसभा में नहीं जाने देता है. रूपचन्द्र उस को लप्पड मारकर स्वयं सभा में जाता है, महाराजा को भेट देता है. महाराजा प्रसन्न होते हैं, और उस को रहने के लिये मकान की व्यवस्था करने की भट्टमात्र को आज्ञा देते है. उसी पहेरगीर को महाराजा की आज्ञा का अमल करना पडता है, वह रूपचन्द्र को अग्निवैताल का भयजनक मकान रहने के लिये दिखाता है. रूपचन्द्र मकान देखकर खुश होकर पत्नी और बच्चे को लेने के लिये जाता है, श्रीद् सेठ को सब बाबत कह कर अपने भाग्य पर भरोसा रखकर पत्नी-पुत्र के साथ मकान पर आता हैं, बहार जाता है, उसी समय अग्निवैताल भतगण के साथ वहां आता है, और उस का पराभव होता है, रूपचन्द्र अग्निवैताल पर बैठ कर शहर में घुमकर राजसभा में जाता है. महारराजा उस का नाम अघटकुमार रखता है और अंगरक्षक बनाता है. एक रातको करुण रुदनस्वर सुनकर महाराजा अघटकुमार को प्रयो P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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