________________ किया. अपने सेवकों से अपना निर्णय कहा. मूलदेव नामक सेवक जाने को तयार हुवा. गगनधली के गाँव में जा कर मूलदेवने एक वृद्धा से परिचय किया. उसके द्वारा जाल बिछाई, बिछाइ हुई जाल में खुद ही फस गया. सुरूपा का कैदी बना. दिनों के बाद शशीभूत गया, वही वृद्धा को मिला, शशीभृत और वृद्धा दोनों सुरूपा के वहां केदी हुवे. अब खुद महाराजा गगनधली के साथ आये. सुरूपाने ये तीनों को एक पेटी में बंध कर महाराजा को दिये, रास्ते में उन्हों का परिचय-घटस्फोट हुवा, महाराजा गगनधली के गाँव वापस आये, और गगनधली-सुरूपा को अभिनंदन देकर अवती गये. प्रकरण 54 . . . . . . . . . . . पृ. 424 से 438 स्वामीभक्त अघटकुमार ज्योतिषी चन्द्रसेन को भविष्य कहता है, उस चन्द्रसेन और मृगावती की कामलोलुपता. चन्द्रसेन का ज्योतिषी को महाराजा के पास ले जाना वहां दुसरे दिन ज्योतिषी पट्टहस्ति का मृत्यु होनेवाला है, कहता है, इस बात की परीक्षा करने को ज्योतिषी को राजा अपने वहां रखता है. दुसरे दिन हाथी पागल हो जाता है, एक ब्राह्मणी को अपनी सूढ में लेकर मारने को तैयार होता है, राजकुमारका यकायक आना, राजकुमार और हाथी का युद्ध, हाथी का मृत्यु, प्रजा में हर्ष होना, राजकुमार को अभिनंदन देना, इस अभिनंदन समारंभ में मुख्य मंत्री के सिवा सब कोई आतें है इस से राजा मंत्री से नाराज होते है, मंत्री अनुपस्थि का प्रयोजन कहता है. इस हाथी के मरण से दुश्मनों आनंद मनायेगे, ये सुनकर राजा राजकुमार पर अप्रसन्न हो जाता है, राजकुमार इस वर्ताव को अपमान समज कर राज छोडकर अपनी पत्नी के साथ चला जाता है, रास्ते में पुत्र का जन्म होता है. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust