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________________ ___ महाराजाने सौभाग्यसुदरी को भोजन बनाने को कहा, योगी को वहां बुलाया, योगी आया, भोजन के लिये बैठा. महाराजाने योगी के पास स्त्री को प्रगट करवाई, स्त्रीके पास पुरुष प्रगट करवाया, और सौभाग्यसुदरी से गगनधली. महाराजाने सब को अभयदान दिया और गगनधली से अपना परिचय देने को कहा, गगनलोंने अपना परिचय देना शरू किया, कोशांबीपुरी के चन्द्रशेठ की लडकी रूक्मिनी से कयसे शादी हुई, वेश्या की मोहजाल में कयसे फँसा, अपने बापकी मिलकत कयसे फना को, अपनी पत्नी गरीबी हालतमें घरबार छोडकर एक तावीज के साथ अपने बापके घर कयसे गई, वेश्या के घर से कयसे निकाला गया, अपनी पत्नी के हाथ से कयसे भिक्षा ली और अपनी स्त्री का कुचरित्र देखा, उस के प्रेमीकने उसे क्यों मारा, और उस के हाथ से गिरा हुवा तावीज उस के हाथ में कयसे आया, तावीज में रहा हुआ रहस्य जानकर वह कयसे अपने गांव आया. प्रकरण 53 . . . . . . . . . . . पृष्ट 406 से 423 गगनधूलीका रहस्यमय जीवन वृत्तांत चालु तावीज में रहा हुआ रहस्य जानकर अपने घर में खुदाई का काम शरू किया, उस को धन मिला, वह पुनः श्रीमत हुवा, अपने स्वसुर के घर गया, वहां रात को अपनी स्त्रीसे उस का चरित्र कहा. सुनते ही रूक्मिणीने अपना प्राण छोड दिया, उस के बाद रूक्मिणी की बहन सुरूपा से लग्न किया. सुरूपाने अपने प्रतिव्रत की प्रतीति के लिये कभी भी न मुरझानेवाली फूलकी माला दी. यह सुनकर सुरूपा के पतिव्रत की परीक्षा करने का महाराजाने निश्चम P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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