________________ चुम्मालिसवाँ प्रकरण रत्नपेटी प्राप्ति के लिए प्रयास हे मर्द वो जो काम पर, अपने डटा रहे। मेदानमें उत्साह से, आगे सदा बढता रहे // पाठक गण! आपने गत प्रकरण में देवदमनी के कथनानुसार पंचदंड वाले छत्र की प्राप्तिके लिए देवदमनी को चौसरमें हराने का रोमांचकारी हाल पढ़ा है। अब आप महाराजा विक्रमादित्य का साहसपूर्वक उनकी बुद्धिमानी से देवदमनी के द्वारा बताये गये पाँच आदेशों को पूर्ण करने की तथा पंच-दंड-वाले छत्र को प्राप्त करने का हाल ध्यानपूर्वक पढ़ें. महाराजा का देवदमनी के साथ बड़ी धूमधाम से विवाह सम्पन्न हो गया। महाराजा का समय आनंद प्रमोदमे बित रहा था. ' एक दिन अवसर प्राप्त कर महाराजाने नागदमनी से कहा, "तुम्हारे कथनानुसार तीन बार चौपटबाजीमें तेरी पुत्री को जीतकर प्रतिज्ञा के अनुसार, जैसे विषमेंसे भी अमृत ले लेना चाहिये, इस उक्ति को प्रमाण कर दुष्कुलमें उत्पन्न तेरी पुत्री के साथ उत्सवपूर्वक मैंने विवाह किया. अब तुम पंचदंड वाले छत्रका स्वरूप कहो और उसको प्राप्त करने का उपाय बताओ.": . अवसर पाकर नागदमनीने महाराजा से निवेदन किया, "हे महाराजा! अगर आप अबशीघ्र ही मेरे पाँचों आदेशों को पूर्ण करें तो मैं P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust