________________ 229 साहित्यप्रेभी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित तो यहाँ नहीं आयी? सारी सभा के लोक उसके रूपके प्रति आकर्षित हो गये। एक अनुभवी कविने ठीक ही ललकारा है "एक नूर आदमी, इजार नूर कपडां; सात लाख नूर टापटीप, क्रोड़ नूर नखरां // " Kitns Tyari dURTHI TTINUETNIL Hin .. महाराजा ओर देवदमनी द्यूत खेल रहे हैं। A1-42 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust