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________________ 228 . विक्रम चरिक सब कार्य करवाऊंगा। इस प्रकार महारांजा का कथन सुनकर, वह नागदमनी राजसभासे अपने घर गयी। .... महाराजा दूसरे दिन मनोहर सिंहासन पर बिराजमान हो कर, अपने नौकरोंकों वुलाकर नागदमनी के कथनानुसार सब कार्य अति शीघ्रतासे करने की आज्ञा दी। महाराजाकी आज्ञानुसारं राजमहल और नागदमनी को हवेली के बोचमें प्रचुर धन खर्च करके एक सुंदर गुप्त. मार्ग शीघ्रातिशीघ्र बनवाया गया। महाराजाने देवदमनी को बुलाने के लिये अपने नौकर को उसके घर भेजा। नौकर-हे नागदमनी ! आप के कथनानुसार महाराजाने : सब कुछ करवाया है, इसलिये आपकी पुत्री को राजसभामें महाराजा वुला रहे हैं, मेरे साथ शीघ्र भेजिये। .. नाकर ....... नागदमनीने देवदमनीको नौकरके साथ सज-धज के जानेका कहा. - अपनी माताके कथनानुसार देवदमनी सुंदरसे सुंदर वस्नु-अलंकार आदि श्रृंगार सज-धज कर: राजसभा में जाने के लिये घर से रवाना हुई। एक तो युवावस्था है, साथ ही साथ सुंदर वस्त्र-आभुषण, आदि श्रृंगार सज, देवकन्या के समान शोभती हुई देवदमनी जब राजसभामें आयी तब सभी सभाजन आदि उसकी दिव्य रूप-कान्ति, देखकर क्षणभर उसके प्रति स्थिर दृष्टि से देखने लगे सब लोके मनमें विचार करने लगें, कि क्या? यह कोई देवलोक में से अप्सरा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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