________________ sani विक्रम परित ही भोजन किया, बादमें महाराजाने देवदमनीको बुलानेके लिये अपने नौकर को भेजा. नौकरने नागदमनीके घर नाकर कहा नौकर-हे नागदमनी! आपकी देवदमनी नामक कन्या को महाराजा बुला रहे हैं। .... नागदमनी-क्यों बुला रहे हैं? .... नौकर-आपकी पुत्रीने महाराजाके आगे कुछ न कुछ अधिक बात की होगी! उस अधिक बोलनेबाली को मेरे साथ शीघ्र ही राजसभा भेजो। नागदमनी-एसी छोटीसी बातों में महाराजा यदि कोपः करेगें तो, फिर प्रजा को बोलनेका कुछ अधिकार ही नहीं रहेगा, महाराजा उदार आशय और प्रजावत्सल होने चाहिए; जैसे पुत्रपुत्रियाँ मा-बाप के आगे कुछ भी कहे तो भी क्या... मा-बाप कोप करते हैं? नौकर-आप की पुत्री को महाराज दंड नहि देगें, क्यों गभराते हो? महाराजा आप की पुत्री से "पंचदंड वाले छत्र" का वृतान्त पूछना चाहते हैं। .. नागदमनी-राजाजी से जाकर कहो कि "विनय के बिना कदापि विद्या प्राप्त नहीं होती है!! ... नौकर-विना विलंब किये भाष की पुत्रीको महाराजा के पास भेजिये। ERE गया P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust