________________ 4TATE विक्रम चरित्र बल आदि गुणों की खूब खूब प्रशंसा होने लगी. अवंती के राजमार्ग पर ही उसकी सुंदर हवेली शोभा दे रही थी. उसके वहाँ वहुतसी दासियाँ थी. उसका समय आनंद-प्रमोद से बीत रहा था / कोई एक दिन अवंतीपति महाराजा विक्रमराज हस्ती पर आरुढ हो लाव-लश्कर एवं दरबारियों को साथमें लेकर नगर बाहरके बगीचेमें आनंद-विनोद करने ‘पधारे, बहुत देर तक बागमें आनंद-विनोद मनाकर वापिस नगरीमें लोट रहे थे. राज दरंबारियों के साथ महाराजा की सवारी घाँसीवाडेमें नागदमनी घाँसनकी जो सुंदर हवेली थी उसके पासमें आ पहुँची। उस समय देवदमनी की एक दासी... हवेली के पासमें झाडू-बहारी लेकर स CHUSKHE PRILCATE FOREURS ALS BHA राजनौकर दासीको धूल उडाडनेकी मना कर रहा है नाचिन , P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust