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________________ ___ श्री अवंतीपार्श्वनाथाय नमोनमः तेंयांलीसवाँ प्रकरण (नवमा सगका आरंभ). ...... देवदमनी ) सुरतसे कीरत बडी, वीन पंख उड़ जाया . सुरत तो जाती रहे किरत कबुह न जाय // . पंचदण्डछत्र कथा / संवत प्रवर्तक महाराजा विक्रम के शासनकालमें अवंतीमगरी बहुत ही आवाद थी. विश्वभरमें वह प्रसिद्ध थी. उस नगरीमें नायदमनी नामकी एक घाँसन रहती थी. वह बहुत ही चालाक, बुद्धिमान और मालदार भी थी. दूर दूर तक वह अति प्रसिद्ध थी. जनतामें उसके बारेमें कई प्रकारकी बातें होती थी. नागदमनी कई आश्चर्यकारक बातों से अपनी जिंदगी बिताती थी. सारी जनतामें उसकी चालाकी और बुद्धि के लिये सन्मान था। - उस नागदमनी को एक सुंदर स्वरूपवान कन्या थी... उसका नाम देवदमनी था. वह अपनी मातासे भी स्वाई थी. क्रमशः युवावस्था को प्राप्त कर वो अनेक कलामे निपूण हुई। . सारी अवंतीनगरीमे देवद्मनी की चालाकी, नीडरता और बुद्धि P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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