________________ 216 साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनिजयजी संयोजित फोगट तुम लोग क्या डरते हो ? पशु पक्षियों के शब्द पर मूर्ख लोग विश्वास कया करते हैं / बुद्धिमान नहीं; यह सुनकर चोरोंने अच्छी तरह से चोरी की और वहां से चोरों ने एक एक रत्न की पेटी लेकर घर चल दिये। ___उस समय राजा कहने लगाकि 'हम लोगों के बीच में गृहस्वामी नहीं है, सियाज झूठ ही बोलता था। हम लोगों को रत्न से भरी हुई एक एक पेी हाथ लगी / ' चोरों के साथ पुनः मिलन का गुप्त संकेत इसके बाद माणिकचौक पर आकर जब चोर घर जाने लगे तब राजा ने कहा कि 'फिर सब भाई कैसे मिलेंगे ? ___ उन लोगों ने कहा कि 'सन्ध्या समय में हमारा पुनः यहां ही मिलन होगा।' राजा ने कहा कि 'यहां तो सैंकड़ों आदमी बराबर रहा करते हैं / इसलिये पहचानने में कठिनाई पड़ेगी।' तब उन लोगों ने कहाकि 'जिनके हाथ में बिजौरा हो उन्हीं को तुम अपना साथी समझना।' इस प्रकार संकेत करके वे चोर अपने घर चल दिये। - राजा भी अपने महल में आकर उस रत्न की पेटी को गुप्त स्थान में रखकर सोगया / प्रातःकाल बंद जन के मंगल शब्दों से उठा / तथा पच परमेष्ठि नमस्कार--नवकार महामन्त्र जपकर के तथा प्रातः काल की धर्म क्रिया करके सभाजनों से शोभायमान सभा में गया। 3 इधर कोषाध्यक्षने प्रातःकाल ज्योंही कोश-गृहमें प्रवेश करते ही देखा तो भित्ती टुटी हुई दीखी। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust