________________ विक्रम चरित्र द्वितीय-भाग है कि 'धनका मालिक साथ में ही है, तब तुम लोग चोरी कैसे करते हो ? ___ शब्द ज्ञानी के ऐसा कहने पर सब लोग चोरी करने से रूक गये। तब विक्रमादित्य कहने लगाकि 'राजा सर्वदा सातवीं मंजिल पर सोता है / वह यहां कैसे आगया ? सियाल ब्यर्थ ही बोलता है। अथवा यह पशु पक्षि की भाषा पहिचानना नहीं जानता तुम लोग यह रत्नराशी शीघ्र ही लेलो / ' ___ इसके बाद जब पुनः वे लोग दिवार भित्ती तोड़ने लगे तब शब्दज्ञानी पुनः बोलाकि सिायल कहता है कि-'गृहस्वामी देख रहा है / इसलिये इस चोरी को छोड़ दो / . . ___इस प्रकार सुनकर सब लोग फिरसे रूक गये, तब विक्रमादित्य कहने लगाकि 'हम लोगो के बीच में कोई भी इस गृहका स्वामी नहीं है। यह सियाल तो व्यर्थ ही बोल रहा है; तुम लोग रत्नराशि को लेलो।' - जब पुनः वे सब चोरी करने लगे तब शब्द ज्ञानी पुनः कहने लगाकि सियार कुत्ते से कह रहा है कि तुम राजा के घर से उत्तम भोजन करते हो तब तुम क्यों नही राजा को चोरी का समाचार देते हो; मैं समझ गया कि नीच व्यक्ति ऐसे ही कृत्तघ्न होते हैं। तब कुत्ते ने कहाकि बीच में ही स्वामी मौजुद हैं; तब भला, धनकी चोरी कैसे हो सकती है ?? ___यह सुनकर जब वे सब डरकर इधर-उधर भागने लगे। तब विक्रमादित्य ने कहा कि राजा यदि मध्य में है तो भी मैं जिसके बीचमें रहता हूँ उसको राजा से कोई डर नहीं होता। तब P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust