________________ 206 साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजयजी संयोजित उनकी ज्ञान तथा विचार शक्ति नष्ट हो जाती है। लोगों का उन पर विश्वास नहीं रहता है। ४-शिकार खेलना-जंगल में स्वेच्छा पूर्वक फिरने वाले रीछ, मृगले, बाघ, सूअर तथा, खरगोश-सचले आदि जानवरों तथा आकाश में उड़ने वाले निर्दोष छोटे छटे पक्षियों को अथवा और किसी जीवों को बंदूक वगैरह हथियारों से मारना; ऐसे बुरे कर्म करने वालों को महान् पाप का बंध लगता है। इन पापियों के हाथ में बंदूक आदि देखते ही जंगल में रहने वाले जानवर एवं पक्षिगण भयभीत हो जाते हैं। ५-वैश्यागमन करना-वैश्या से खेलने की इच्छा करना उसके घर आना जाना, अथवा उससे अनुचित संबंध रखना चश्यागमन कहलाता है, वैश्या व्यभिचारिणी स्त्री होती है; उससे संबंध रखने से व्यभिचार का दोष लगता है। उससे सम्बन्ध करने से अनेक प्रकार के भयंकर बुरे रोग भी पैदा होते हैं / वैश्या की प्रीति तो मात्र पैसे की होती है। ६-चोरी करना-जान बूझ कर किसी की वस्तु लेना या किसी की गिरी हुई, या पड़ी हुई, या रक्खी हुई, या भली हुई चीज को उठा लेना, अथवा उठा कर किसी और को दे देना ही चोरी है / जिसकी वस्तु चुराई जाती है, उसके मन में बड़ा भारी खेद होता है और इस खेद का कारण चोर होता है / चोरी P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust