________________ विक्रम से करता है, जनता उस पर कुछ न कुछ बोलती है, मंत्री मति• सार महाराजा का परिचय देता है. * अग्निवैताल की सहायता से सदा फल देनेवाले आमका बीज लेकर मंत्री के साथ महाराजा अवती गये. नागदमनीने महाराजा को सुपात्र -दान देने को कहा, महाराजाने वयसा ही किया. एक दिन महाराजा घुमते घुमते पुरोहित के घरके पास आये, वहां हरताली और जईतु का संवाद सुना, महाराजाने उस का चरित्र देखनेको बटुकका रूप लिया, हरतालीका और सखीओं का भार अपने मस्तक पर लेकर उनके पीछे पीछे महारजा चले सखिया वसुधा स्फोटक दौंड से पृथ्वी फोड पाताल में गई. वहां * विषनाशक दौंड' से सर्प को दूर करते सरोवर में स्नान करने गई, दंड और पुष्पछाव बटुक-महाराजा विक्रम को देकर जलक्रीडा करने लगी. महाराजा विक्रम अग्निदैताल की :सहायतासे लग्न करने को तैयार हुवे. नागकुमार को अदृश्य कर नागकुमार जयसा अपना रूप बनाकर श्रीकी पुत्रीसे पाणीग्रहण किया. वह तीनों सखिया वहां जब आई तब विक्रम महाराजाने अपना बटुक का रूप बनाया, उन्होंने दौंड मांगा, महाराजाने अपना रूप प्रगट किया, ये देख कर वह ताज्जुब हुई, शादी करने को तैयार हुई, महाराजाने उनहों की साथ शादी की, बाद में नागकुमारो को प्रगट किये, नागकुमारोने सुरसुंदरी नामक कन्या और मणिदड महाराजा को दिया. चंद्रचूड नागकुमारकी कन्या कमला का लग्न नागकुमार से करके दंड और कन्याओं के साथ महाराजा अवती को आये. नवमा सर्ग समाप्त. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust