________________ 182 साहित्यप्रेमी मुनि निरन्जनविज संयोजित सार सिपाही अपनी अपनी ड्यूटी देकर संघ की रक्षा का भार संभः लते। पुलिस विभाग समय 2 पर अनेक राज्यों के आने से और बढ़ गया था। रास्ते में धांग्रधां, भावनगर, पालीताना आदि राज्य आने से उनके महाराजाओं ने भी श्री संघ की ओर भक्ति भाव से प्राकर्षित होकर अपनी सिपाही-सेना भेज कर संघ की रक्षा का भार और भी अधिक सरल व सबल बनाया / / ___ स्त्री समाज के लिए तो अलग ही सुन्दर व्यवस्था रहती। किसी भी कार्य में स्त्री-समाज और पुरुष समाज में भेद भाव नहीं बर्ता नाता पर उनकी व्यवस्था अलग अवश्य होतो / स्त्री समाज में किसी भी पुरुष को आवारा फिरने का कतई अधिकार नहीं था। पूजा, प्रभुभक्ति, सामायिक प्रतिक्रमण, व्याख्यान आदि के लिए स्त्री समाज के लिए अलग ही पूर्व से निश्चित स्थान कर दिये गये ताकि उन स्थानों का उपयोग केवल स्त्री-समाज ही ले सके। . .. . .: जब संघ अपने विश्राम स्थान से प्रातः प्रयाण कर आगे की ओर चलता उस समय का दृश्य बड़ा ही मनोहर था। मीलों तक श्री संघ के मानव समुह की पक्तिये दृष्टिगोचर होती / इस समुह में करीब 2000 बैलगाड़ी, घोड़े, रथ, मोटर आदि भी थे ताकि संघ में सम्मलित वृद्ध धर्म प्रोमियों को तथा छोटे बड़े अन्य लोगों के असबाब आदि को ढोने का काम सरलता पूर्वक हो जाय / संघ-पति साधु समुदाय के पीछे कर बद्ध श्रीफल लिए बड़े शान्त भाव से करीब 20 हजार सघ साथियों के साथ चलते दृष्टि P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust