________________ विक्रम-चरित्र द्वितीय भाग 176 देश में घटनेवाली घटनाओं का ज्ञान रहता ही है / अतः उपरोक्त संघ की पुष्टी में वर्तमान काल का प्रसंग यहां देना अनुपयुक्त नहीं होगा। - गत वि० सं० 1661 में अहमदाबाद निवासी सेठ माणकलाल मनसुखलाल भाई ने शासन सम्राट पूज्याचार्य देव श्रीनेमिसूरीश्वर जी महाराज की अध्यक्षता में श्री सिद्धाचल महातीर्थ तथा गिरनार तीर्थ का एक संघ निकाला था / इस संघ का वर्णन करना तो सूर्य को दीपक दिखाने के तूल्य है। कारण कि जो आनन्द प्रत्यक्ष दर्शन में आता है वह लेख द्वारा नहीं / एक प्रत्यक्ष दर्शक के कथनानुसार यह संघ अहमदाबादसे रवाना होकर कई ग्रामों में होता हुआ जा रहा था / प्रत्येक ग्राम के जिनालय में पूजा, आंगी प्रभावना का लाभ संघपति बड़े उत्साह के साथ लेते / प्रत्येक कार्य की व्यवस्था बड़ी सुव्यवस्थित थी। जहां भी विश्राम होता वहां संघ के लिए एक दिन पूर्व ही संपूर्ण व्यवस्था हो जाती / ग्रामों ग्राम नौकारसी आदि बड़े 2 भोजों का आयोजन होता जिसमें 20,000 हजार तक मानव समुह भाग लेता / इस संघ की व्यवस्था तो वास्तव में बड़ी ही चित्ताकर्षक थी। जहां संघ विश्राम करता था वह मैदान करीब 2-3 मील के घेरे को रोक लेता था / संघ के स्थान को देखकर दूर से यही ज्ञान होता था कि यह तो कोई राजकीय छावनी पड़ी हुई है। वास्तव में वह एक धर्मराज की छावनी थी जो अधर्मराज के विरुद्ध धर्म कार्य कर धम की विजय दुन्दुभी बजा रही थी। हा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust