________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरजनविजय संयोजित है। सुन्दर वेष भूषा से महाराजा आज बड़े ही सुन्दर दिखाई रहे हैं। आज का दिवस महाराजा विक्रमादित्य के तथा प्रजाजन के लिए धन्य है / समूह के अंत में साध्वीगण तथा महिला-समाज का विशाल समूह चल रहा है / समूह बीच महिला-समाज अपने कोकिल कंठसे सुमधुर स्वर द्वारा गीतगान गाताइआ दृष्टिगोचर हो स. 21 समूह के प्रध्य में राज्यशाहो ठाट के साथ सुन्दर वेश भूषा युक्त होकर, आभूषणों को अपने कोमल तन पर सुशोभित कर महाराजा की रानियों का समूह स्त्री समाज की शोभा बढ़ाते हुए महाराजा के पद चिन्हों का अनुसरण करते हुए चलता जा - उपरोक्त विशाल मानव सघ के साथ महाराजा विक्रमादित्य का यह शानदार. जलम संघ रूप में अपनी धार्मिक भावनाओं को एकत्र कर के धर्म-कर्म करने निमित्त प्रभुभक्ति में लीन होता जा रहा है। जिनका आज प्रथम विश्राम अवन्ती नगरी के बाहर वाले उद्यान की शोभा बढ़ा रहा है / यह उद्यान मालव देश की विशाल पवित्र क्षिप्रानदी के तट पर स्थित है। 14.1 . पाठक गरण ! महाराजा विक्रमादित्य के संघ के इस वणेन का समस्त हाल पढ़ कर कहीं आश्चर्य में न पड़ जाय / शका होना मानव स्वभाव है.। परन्तु प्रमाण मिलने पर उसे बुद्धिमान अपने हृदय में स्थान नहीं देते / अस्तु / वर्तमान काल में समाचार पत्र पढ़ने वाले हर-समय के समाचारों से परिचित रहते हैं। उन्हें P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust