________________ 176 साहित्यप्रेमी मुनि निरजनविजय संयोजित अवंति निवासी शेष रहा हो / नगर की महिलाए छोटे 2 समूह में अलग-अलग एकत्र होकर सुमधुर स्वर से प्रभु स्तवन, राज्य महिमा आदि के भाव पूर्ण गीत गा रही हैं / इस प्रकार आज की उज्जयनी नगरी को इन्द्रपुरी की उपमा दे दी जाय तो कोई अत्युक्ति नहीं होगी। दर्शकगण तो प्रायः यह अनुमान लगा कर वहीं इन्द्रपुरी को साक्षात्कार मान उसका आनन्द ले रहे हैं। . . ... महाराजा विक्रमादित्य के संघ का अाज प्रयाण दिन है। मालव देश की प्राचीन राजधानी अवंतीपुरी में आज प्रातःकास से ही अद्भुत जागृति फैली हुई है। मानव मेदनी से सारी अवंती नगरी भर गई है / आज नगरी का कोई भी राज मार्ग ऐसा नहीं होगा जहां मानव मेदनी विशाल समुह में न हो / यहां आज बड़े-बड़े राज्य मार्ग भी संकीर्ण प्रतीत होते हैं। स्थान-स्थान पर मानव समूह आज की संघ यात्रा की बातें बड़े प्रेम पूर्वक करते नजर आ रहे हैं / महाराजा विक्रमादित्य की धर्मभावना की स्थान 2 पर प्रशंसा हो रही है और महाराजा की उदार वृत्ति के लिए धन्यवाद दिया गया, शुभ मुहुर्त और शुभ तिथि में महाराजा विक्रमादित्य ने सकल चतुर्विध संघ के साथ श्री अवंती पार्श्वनाथ जो भगवान को भाव पूर्णे नमस्कार कर नगरी के बाहर वाले उद्यान की ओर अपने पूज्याचार्य श्री सूरीश्वरजी भगवंत की आज्ञानुसार प्रथम प्रस्थान किया। ... श्री संघ का वर्णन करना इस निजि क्तो लेखनो के वश के P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust