________________ . विक्रम-चरित्र द्वितीय भाग 175 / इन्छा प्रदर्शित की, अपने अज्ञाकारी मंत्री मंडल एवं राज्य के सब अधिकारी वर्ग को श्री सव के लिये अति शिघ्र सामग्री जुटाने की आज्ञा प्रदान की ! महाराजा की आज्ञानुसार राज्य कर्मचारियों ने शीघ्र ही अनेक प्रकार की आवश्यक व्यवस्था एवं तैयारी करदी, दूसरी ओर अपूर्व उत्साह के साथ महाराजा ने अनेक अन्य राज्यों के राजाओं, सामंतों, श्रीमंतों, आचार्यों, साधू, साध्वी एवं समस्त धर्मप्रेमी जनता के नाम आमंत्रण पत्रिकाएं भेज दी! ____ महाराजा की ओर से आमंत्रित होकर इस संघ का अपूर्व लाभ लेने हेतु अनेक राजा, सामंत, श्रीमंत, आचार्य, साधू-साध्वी तथा अनेक साधारण धर्म प्रेमी गृहस्थ भी शीघ्र ही बड़े उत्साह के साथ उज्जयनी नगरी में प्रवेश करने लगे। दिनों दिन उज्जयनी में मानव समूह बढ़ने लगा / महाराजा ने भी अपनी नगरी में आने वाले आगन्तुकों का उदार भाव से स्वागत किया। आपने अतिथियों के लिए ठहरने, भोजन और विश्राम की समुचित :: व्यवस्था करदी। - उज्जयनी नगरी के महाराज की इस अपूर्व धर्म भावना का असर अवंती नगरी की प्रजा पर भी बहुत अधिक पड़ा / फलतः वहां को प्रजा ने भी बड़े ही उत्साह के साथ अपनी नगरी को बड़े ठाट बाट से सजाया / जगह जगह तोरण-पताका फहराती नजर आ रही है / चौराहों पर शहनाई आदि तरह-तरह के बाजों की मधुर ध्वनी सुनाई दे रही हैं / प्रत्येक गली के दोनों किनारों पर सुन्दर-सुन्दर द्वार बनाये गये हैं जो महापुरुषों के नाम से अलंकृत हैं / इस अपर्व अवसर का लाभ लेने में शायद ही कोई P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust