________________ 25 आकर उन्होंने उस को बुलाने को सैनिक को भेजा. सैनिक नागदमनी को लेकर आया. महाराजाने देवदमनी को बुलाने का कारण कहा. प्रत्युत्तर में नागदमनीने देवदमनी के साथ चोपट खेलने का और उस के मकान तक भेदी मार्ग बनाने का कहना, महाराजाने मार्ग बनवाया, और चोपट खेलना शरू किया, सारा दिन खेलने में व्यतित कर रात को महाराजा नगरचर्चा सुननेदेखने चले, जनता का अभिप्राय ठीक नहीं था, महारराजा वापस महेल को आये, एक रोज गया, दुसरा रोज गया, महाराजा देवदमनी को हरा न शके. तीसरे रोज महाराजा नगरचर्चा को निकले. घुमते घुमते नगर बहार आये, वहां क्षेत्रपाल से मिलन हुआ, देवदमनी को जितने का उपाय मिल गया. अग्निवैताल की सहायता से देवदमनी हार गई, महाराजा और देकदमनी का उत्सवसहित लग्न हुआ. प्रकरण 44 . . . . . . . . . . पृ. 243 से 263 रत्नपेटी प्राप्ति के लिए प्रयास नागदमनी के कहने से महाराजा विक्रम ताम्रलिप्ति नगर में गये. नगर की शोभा देखते देखते महाराजा चन्द्रकी पुत्री लक्ष्मी देवी के महल में अदृश्य रूप से रहे. समय जाने पर राजपुत्री के पूर्व संकेतानुसार भीम सांढनी लेकर आया, राजकुमारीने भीम को रत्न पेटी उतारने को कहा, भीमने वयसा ही किया, महाराजाने अग्निवैताल की सहायता से राजकुमारी का वस्त्र हरण किया, राजकुमारी दुसरा वस्त्र लेने गई उस समय अग्निवैताल को भीम को दूर देश ले जाने को महाराजाने कहा, और महाराजाने राजकुमारी के साथ सांढनी पर स्वार हो चल दिया, रास्ते में महाराजाने जूगारी के रूप में अपना गलत .परिचय दिया. राजकुमारी अपने कम की निंदा करने लगी. रास्ते में उन्होंने मुकाम किया, रात में सिंहगर्जना सुनकर रानकुमारी गभराने लगी. महाराजाने अपने तीर से सिंह-वाघ को मार निश्चित होकर सो गये. प्रातःकाल को तीरको लाने के लिये राजकु P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust