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________________ होते दोनों दीक्षा ग्रहण करते है. अरिमर्दन का सम्यकत्व व्रत ग्रहण करना. ये वृतान्त सुनकर वैराग्य होना और शुकराज का अपने पुत्र को राज देकर दीक्षा ग्रहण करना. प्रकरण 41 . * * * * * * * * * * पृ. 172 से 200 अरिमर्दन राजा का नारीद्वेष . महाराजा विक्रम श्री सिद्धसेनदिवाकरसूरीश्वरजी की साथ श्री शत्रुजय गिरिराज की यात्रा करते है, वहां मंदिर का जीर्णोद्धार कराना, ओर अवती आना. दरवार में एक गरीब मनुष्य का आना. उसको द्रव्य देना. वो गरीब मनुष्य नंदराजा की कथा सुनाता है, जिस से राजा प्रसन्न होकर बहुतसा धन देता है. प्रकरण 42 . . . . . . . . . . . . प. 201 से 222 विक्रमादित्य का वेशपरिवर्तन कर नगर निरीक्षण महाराजा विक्रम का प्रजा के सुख दुःख जानने के लिये रात्रिभ्रमण, जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि का अनुभव होना. राजा व्यसनोंको नगरसे निकालते है. फीर चोरों के साथ भ्रमण कर राजमहल में चोरी करवानी तथा उनकी शक्ति का परिचय और उनको पकड कर सच्चा राह दीखाना. महाराजाका बुद्धिकौशल्यता का अपूर्व नमूना. सगे नवमा पृष्ट 223 से ३१०............................प्रकरण 43 से 46 प्रकरण 43 . . . . . . . . . . . पृष्ट 223 से 242 देवदमनी महाराजा विक्रम एक दिन आनद विनोद करने को गये थे, वापस आते समय देवदमनी के शब्द सुन कर महाराजा शोच में पड गये. राजसभा में P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trus
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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