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________________ कम क्षय होने पर चन्द्रशेखर को केवलज्ञान प्राप्त होना. श्री महोदयमुनि से शुकराज का प्रश्न पुनः मुनि सदेह निवारण करते हैं, उस ज्ञानीमुनि द्वारा पूर्व भव कथन और श्री चन्द्रशेखर मुनिवर से परस्पर क्षमा याचना. प्रकरण 39 . . . . . . . . . . . पृ. 134 से 151 शुकराज को पुत्र प्राप्ति ___ शुकराज के वहां पुत्र जन्म, उस पुत्र का नाम चन्द्र रख्खा जाता है, एक रोज श्री कमलाचार्य नामक धर्माचार्य से मिलन-वंदना करना, उनके द्वारा कम और उद्योग की शक्ति जाननी. मुनिवर द्वारा धीर वणिक और धनगर्वित भीम एव अरिमर्दन राजा का वृत्तान्त तथा भीम और श्रीदत्त वणिक का रोचक उदाहरण देकर बोध प्रदान करना. प्रकरण 40 . . . . . . . . . . . प. 152 से 171 मंत्री द्वारा रत्नकेतुपुर नगर ढुंढने के लिये जाना अरिमर्दनका मेहीक दोई की स्त्री द्वारा मंत्री के साथ रत्नकेतुपुर जाना वेश परिर्तन करना, अरिमर्दनका राजकुमारी से मिलना. पश्चात् अपने नगर में जाकर सैन्य साथ कंदोई की स्त्री की सहाय से रत्नकेतुपुर आना वहां के राजा से मुलाकात, पुरुषद्वेषिणी राजपुत्री सौभाग्य सुदरी में परिवर्तन लाकर लग्न करना. सौभाग्यसुंदरी का माता होना पुत्र का नाम मेघकुमार रखना. वरसों जाने पर मेघवती के साथ मेघकुमार का लग्न. एक दिन श्री आदिनाथजी की पूजा के लिए राजा अरिमर्दन परिवार लेकर जाता है. श्री आदिनाथजी की मूर्ति देखते ही मेघकुमार और मेघवती का मूर्छित होना. उपचार करने से शुद्धि में आते है पर बोलते नहीं सकल प्रयत्न वृथा होते है. आखिर गुरुदेव श्रीगुणसुरिजी महाराज के पास जाना सुरिवर के द्वारा मेघकुमार और मेघवती का पूर्व जन्म जानना. वृत्तान्त संपूर्ण P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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