________________ विक्रम-चरित्र द्वितीय भाग .. 146. क्योंकि यदि छल करके तुम मेरे घर नहीं आओगी तो राजा मेरे सर्वस्व का हरण कर लेगा।" तब रूपवती ने कहा कि "मैं तुम्हारे कहने के अनुसार कार्य अवश्य करूंगी।" "पर पुरुषों के संगम कारण, कुन्टा क्या न किया करती। मात-पिता, पति-पुत्रों के भी, प्राण हरण से ना डरती / / " इसके बाद श्रीदत्त श्रेष्ठी गजा की सभा में आकर बैठा। उसी समय भीम भी राजा से मिलने के लिये आया / तब श्रीदत्त श्रेष्ठी ने कहा कि "अभी किसी के घर में तत्काल फल देने वाला बीज नहीं देखा जाता है?" तब भीम ने अभिमानपूर्वक उत्तर दिया कि-"ऐसा न बोलो। मेरे घर में तत्काल फल देने वाले ककड़ी के बीज हैं।" श्रीदत्त ने कहाकि--"मनुष्य को कभी झूठ नहीं बोलना चाहिये। यदि तुम्हारे घर में इस प्रकार के बीज होतो, तुम मेरा सब धन ले लेना और यदि उस प्रकार के बीज तुम्हारे घर में नहीं होंगे तो, मैं तुम्हारे घर में जिस वस्तु पर हाथ दूगा वह तत्काल ही ले लगा।" तब भीम ने घर से बीज लाकर राजा के आगे में उसको बोये / परन्तु तत्काल फल नहीं आये / इस पर भीम अपनी हार मान गया। तब वह श्रीदत्त बोला कि-"मैं शीघ्र ही तेरे घर में जाता हूं और P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust