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________________ 150 साहित्यप्रेमी मुनि निरन्जनविजय संयोजित द्विपद आदि जो भी सुन्दर वस्तु में मेरी इच्छा होगा उसे मैं ले लूगा।" उसके ऐसे कथन पर भीम ने मनही मन सोचा कि इसकी इच्छा मेरी गृहिणी(स्त्री)लेने की है। ऐसा समझकर वह भीम शिघ्र बुद्धि देने वाले धीधन श्रेष्ठी के समीप गया और उसे सब समाचार कह सुनाया / यदि बातों में हार जाने के कारण गृहिणी दूसरे के घर में जाय तो बुद्धिमान व्यक्ति अशोभित हो जाता है / तब श्रेष्टी ने कहाकि 'तुम अपनी पत्नी सहित अच्छी अच्छी वस्तुओं को ऊपरले मंजिल में ले जाना और सिढ़ी लगाकर कहना कि तुम सिढ़ी द्वारा ऊपर चढ़कर, अपनी इच्छा अनुसार चस्तु लेलो / इसके बाद जब वह ऊपर चढ़ने के समय में सिढी पर हाथ देवे, तब तुम उससे स्पष्ट कहना कि 'इस सिढी को हाथ से स्पर्श करने के कारण इसको ही लेलो।' इस प्रकार धीधन से बुद्धि लेकर भीम घर पर आकर उस धीधन के कथनानुसार सब काम कर लिया। ठीक समय श्रीदत्त भी वहां आपहुंचा / गृह के ऊपर के मालमें बैठी हुई भीम की कुल्टा पत्नी रूपवती, श्रीदत्त को अपने रहने का स्थान बतलाने लगी / रूपवती को संकेत करते हुए देखकर, भीम अपनी पत्नी का सब दुश्चरित्र जान गया। अर्थात् वह समझ गया कि “यह फुल्टा स्वयं श्रीदत्त के यहां जाना चाहती है।" जब वह श्रीदत्त सिढी पर हाथ रखकर ऊपर चढने लगा ROMARR RRE mmmmmmmmmmmmon P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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