________________ 148 साहित्यप्रेमी मुनि निरन्जनविजय संयोजित भीम को काटने लगा कि उस नकुल ने, क्रोध से क्षण मात्र में उसके अनेक खण्ड कर दिये / भीम जब सोकर उठा तब नकुल से खण्डित हुए सर्प को देखकर, अपने लिये हितकारक बुद्धि की भी अत्यन्त प्रशंसा करने लगा। इसके बाद घर जाकर हरपुर नाम के गांव में ही श्रेष्ठी रुपवती नामकी सुन्दर कन्या से विवाह करके सुखपूर्वक रहने लगा / स्वर्ण द्वीप में समुद्र मार्ग से जाकर बहुत धन का उपार्जन किया / और बोनेपर उसी समय फल देने वाला ककड़ी का बीज भी प्राप्त किये। पश्चात् वहां से अपने घर पर आकर नित्य ककड़ी का शीघ्र फल __. देने वाले बीज बोता था। और उसका फल अपनी स्त्री को देता था। एक दिन उसकी स्त्री ने पूछा कि, तुम नित्य ककड़ी का फल . कहां से लाते हो ? तब भीमने सब सही समाचार उसे सुना दिये / " भीम की रूपवती स्त्री पूर्व में श्रीदत्त नाम के श्रेष्ठी से प्रेम संबंध होने के कारण, प्रयत्न करके उसकेयहाँ जानेकी इच्छा करती हुई भी कुछ दिनों तक, अनुकूल स्थिति की राह देखती हुई, भीम के घर में रही / एक दिन रूपवती ने श्रीदत्त से कहा कि 'मैं तुम्हारे घर आना चाहती हूं' तब.श्रीदत्त ने कहा कि 'यदि तुम मेरे घर में आना चाहती हो तो भीम के यहां जो तत्काल फल देने वाले ककड़ी के बीज हैं,उनको अग्नि में पकादो जिससे वे उगने न पावें / AC.Gunratnasari un Aaradhak Trust