________________ विक्रम चरित्र-द्वितीय भाग के छिद्र को प्राप्त कर शीघ्र ही उसकी समस्त लक्ष्मीका अपहरण कर लेते हैं / जैसे बिल्ली दूध के अपहरण की ताक में सदा लगी रहती है। - इस प्रकरणमें फेवली भगवंत मुनि के द्वारा पूर्व जन्मादि तथा भविष्योंका कथन, और राजा आदि से योगिनी का मिलन, चन्द्रशेखरको कामदेवके द्वारा वरदान मिलना, चन्द्रांक राजकुमार से यशोमति की कामाभिलाषा होना। बाद में यशोमति का योगिनी होना और सांसारिक माया जाल को देखकर मृगध्वज महाराजाको वैराग्य प्राप्त होना।' गृहस्थ अवस्था में ही राजाको केवलज्ञान की प्राप्ति, अनन्तर चन्द्रवती रानी से राज्य अधिष्ठात्री देवी की आराधना, तथा देवी का प्रसन्न होना इत्यादि रोचक वर्णन इस प्रकरण में आया है। . अब पाठक गण आगे के प्रकरणमें राजा शुकरराजकी यात्रा गमन आदि का रोमाञ्चकारी वर्णन पढ़ेंगे / P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust