________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरन्जनविजय संयोजित 115. इसके बाद उन राजर्षि रूपने सूर्य संसारके भव्य प्राणी रूपी कमलों को विकसित करते हुए वहांसे बिहार कर दिया / इधर बादमें शुकराज न्यायपूर्वक प्रजाका पालन करने लगा। चन्द्रवती पर देवीकी प्रसन्नता-- इधर रानी चन्द्रवती चन्द्रशेखर में अत्यन्त स्नेह रखती हुई अतीव भक्तिके साथ राज्यकी अधिष्ठात्री देवीकी आराधना करने लगी। इसके बाद वह देवी प्रसन्न होकर प्रत्यक्ष हो गई और उसको कहने लगी कि 'हे चन्द्रवती ! तुम अपना अभीष्ठ वर मांगो। क्योंकि बिना उपकारके किसीको किसीके साथ प्रेम नहीं होता, अभिष्ठ वस्तु देने पर ही दे ता लोग अभीष्ट फल देते हैं। तब चन्द्रवतीने कहा कि तुम मुझ पर प्रसन्न होकर यह शुकराज का विशाल राज्य चन्द्रशेखरको दे दो। तब देवीने कहा कि शुकराज जब कहीं अन्यत्र जावे तब तुम चन्द्रशेखरको राज्य लेने के लिये बुलाना, उस समय मैं चन्द्रशेखरके शरीरका वर्ण-रूप सब शुकराजके समान बना दूगी। इसमें सन्देह नहीं। इस प्रकार वर देकर देवी अन्त र्धान हो गई। ___ चन्द्रवती प्रसन्न होकर शुकराज के अन्यत्र चले जाने की प्रतीक्षा करने लगी / क्योंकि क्रूर कर्म करने वाला मनुष्य दूसरे P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust