________________ प्राप्त होगा ?" मुनीश्वरने फरमाया कि, “चन्द्रावती के पुत्र को देखोगे तब." मुनीश्वरने वहां से विहार किया, सभाजन आदि नगर में आये. प्रकरण 36 . . . . . . , . . . . . पृ. 84 से 99 चंद्रशेखर मृगध्वज राजा गुरुदेव द्वारा धर्मोपदेश सुनकर सदा मन में धर्म रखते थे और सोचते रहते थे कि, यह असारस सार से मेरा कब छूटकारा होगा? ऋषिपुत्री कमलमालने दूसरे पुत्र हसराज को जन्म दिया, एक दिन गांगलि ऋषि का राजसभा में आगमन, शुकराज का उनकी साथ आश्रगमें जाना, गौमुख यक्ष के साथ ऋषि का श्री सिद्धाचलजी की यात्राको जाना, शुकराज द्वारा जिनमन्दिर व आश्रम की देखभाल करनी, एक रात को रात्रि में कोई स्त्रीका करुण रुदन सुनना, उसकी तलास करने जाना, कारण जान कर पद्मावती राजपुत्री का वन में खोज करने जाना, विद्याधर व युवेग की मुलाकात, वायुवेग को लेकर जिनमन्दिर में दर्शन करने जाना, वहां पद्मावती की भेंट होनी, दोनों को आश्रम में लाकर स्वागत सन्मान करना, वायुवेग को आकाशगामिनी विद्याका विस्मरण होना, वह विद्याशुकराज द्वारा पुन: पाठ कराना, वायुवेगद्वारा शुकराज की भी आकाशगामिनी विद्या पढाना-शिखाना. __ ऋषि का तीर्थ यात्रा से आश्रममें लोटना, शुकराज को विद्या प्राप्ति हुई है वह जानना-आशीर्वाद देना, वहां से विमान में बैठकर वायुवेग और पद्मावती को चपापुरी जाना, अरिमर्दन राजा द्वारा शुकराज और पद्मावती के लग्न होना, वहां से वायुवेग विद्याधर के साथ शाश्वत तीर्थों की यात्रा करने जाना, और वायुवेग के आग्रह से उसके -- गगनवल्लभनगर' में जाना, वहां वायुवेगा के साथ शुकराज का दूसरा लग्न होना, और वहां से श्रीअष्टापदजी महातीर्थ की यात्रा को जाना, मार्ग में चक्रेश्वरी द्वारा पुकारना और उस से मिलन, शुकराज का देवी के साथ अपने माता का संदेशा भेजना, तीर्थ P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust