________________ विक्रम-चरित्र द्वितीय भाग योगिनी से पूछना / उससे तुमको चन्द्रावती के पुत्र की उत्पति का सब वृतान्त ज्ञात हो जायगा।" . _ यह आकाश वाणी सुनकर अत्यन्त कौतुक से राजा उस बालक के साथ शीव्र ही उस कदलीवन में पहुँचा / वहां ध्यान में लीन योगिनी को देखकर राजा ने पूछा कि क्या यह चन्द्रवती का पुत्र है ?' . योगिनी द्वारा चन्द्रवती के पुत्र का परिचय ___ यह सुनकर योगिनी ने कहा कि 'हे राजन् सत्य ही यह चन्द्रवती का पुत्र है, क्योंकि यह असार संसार रूपी जहर से भी अधिक विषम है / इसलिये कहा है कि:_ 'मैं कौन हूँ ? तुम कौन हो ? कहां से आये हो कौन मेरी माता . है ? कौन मेरा पिता है ? ये सब यदि गहराई पूर्वक देखा जाय तो स्वप्न के व्यवहार के जैसा ही यह सब संसार है।"रात, दिन, मास वर्ष बराबर होते हैं / लोग वृद्ध तथा बालक पुनः पुनः होते हैं / काल भी इसी प्रकार आता जाता रहता है। वह योगिनी पुनः कहने लगी कि "चण्डपुरी में एक सोम नाम का राजा था / जो इन्द्र के समान सतत न्याय मार्ग से प्रजा का पालन करता था उस राजा को जैसे रामचन्द्रजी के सीताजी थी उसी प्रकार अन्तपुर में सबसे श्रेष्ठ 'भानुमती' नामकी पति कोऽह कस्त्वं कुत आयात: को मे जननी को मे तातः / यद्यवं दृष्टः संसारः सोऽयं स्वप्नव्यवहारः।।६६हास 8 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust