________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरन्जनविजय संयोजित 101 राज्य देने वाला, अर्थात् विशेष कर के क्या कहा जाया ? मनुष्य को संसार में कौन सा ऐसा पदार्थ है जो धर्म नहीं दे सकता ? यह धर्म स्वर्ग और मोक्ष को भी देने वाला है।" देशना के अन्त में मुनि भगवंत से पूछा कि मैंने पूर्वजन्म में क्या पुण्य किया था ?" "केवली भगवंत कहने लगे कि तुमने पूर्वजन्म में जिनार्चन (जिन-पूजा) किया था। मैंने पुनः पूछा कि "कौन से भव में जिन पूजा की थी ? ज्ञानी मुनि ने कहा कि "भदिद्लपुरी में एक जितारी नाम के राजा थे। उन्होंने अपनी स्त्री हसी और सारसी के साथ शंखपुरी के संघ से युक्त होकर विमलाचल महा-तीर्थ की यात्रा के लिये गये, लौटकर आते हुए जितारी राजा मार्ग में ही मृत्यु को प्राप्त कर गये / इसके बाद जितारी राजा का मन्त्री सिंह सब लोगों के साथ भदिदलपुरी को चल दिया। जब सिंह प्राधे मार्ग में आया तब चरक नाम के सेवक को कहा कि 'मैं विश्राम-स्थान पर रत्नकुण्डल भूल गया हू" इसलिये तुम शीघ्र जाओ और वे रत्नकुडल ले आओ।" इस प्रकार मन्त्री की आज्ञा हो जाने पर सेवक वहां से रत्नकुडल लाने के लिये चल दिया, क्योंकि सेवा से धन चाइने वाले, मूर्ख सेवक लोग अपने शरीर स्वतन्त्रता की तकको खो देते हैं / इसके बाद वहां जाकर उप्तको रत्नकुडल नहीं मिला तो पुनः लौटकर चरक सेवकने मन्त्रीजी से कहाकि- "हे मन्त्रिश्वर ! - मुझको वहां पर बहुत खोज करने पर भी वह रत्नकुडल नहीं P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust