________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरन्जनविजय संयोजित 8 -~ ~~~ ~~vimom रात्रि में स्त्री का रुदन शुकराज ने जब उस बन में प्रवेश किया तो बिना वृष्टि के दावानल शान्त होगया, फल पुष्प आदि की अत्यन्त वृद्धि हो गई, तथा बलवान प्राणी निर्बल प्राणियों को पीड़ित नही करते थे। एक रात्रि में किसी स्त्री का दुरसे रुदन सुनकर शुकराज वहां गया और उससे रुदन का कारण पूछा। तब वह स्त्री कहने लगी कि 'चम्पापुरी में अरिमर्दन नाम के राजा हैं / उसको श्रीमती नाम की पत्नी से पद्मावती नामकी एक कन्या उत्पन्न हुई, उस पद्मावती की मैं धात्री माता हूं, मेरा नाम रमा है / तथा जैसे प्रेम से माता अपने सन्तान को स्तन पान आदि से पालन करती है, ठीक वैसे ही मैं भी प्रेम पूर्वक पुत्रीवत उसका पालन करती थीं। एक दिन पद्मावती को तथा मुझको कोई आकाश चारी अपने विमान में लेकर आकाश मार्ग से चलदिया / यहां पर मैं अकस्मात् विनान से गिर गई हूं। तथा वह आकाश चारी पद्मावती को लेकर कहीं चला गया है। इसलिये मैं रुदन कर रही हैं। क्योंकि प्राणियों को पिता, माता, मित्र, पुत्र, स्त्री, आदि का वियोग अत्यन्त दुष्कर होता है / इसमें कोई संदेह नहीं है। "मात पिता सुत बालिका-बनिता सुजन सुयोग / स्वजन हानि संताप से-होता सबको सोग / / " P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust