________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरन्जन विजय संयोजित गोचर होगा तब तुमको मोक्ष का सुख देने वाला वैराग्य भाव प्राप्त होगा। / ___ उन मुनीश्वर से कहे हुए वचनों को अपने हृदय में धारण करके और उन केवली मुनीश्वर को विधि पूर्वक प्रणाम करके अपने पुत्र आदि के संबंध में सब बातों को स्वप्न के समान समझता हुआ वह ओनंद पूर्वक राजा अपने नगर में आया / ___ इसके बाद वे केवली मुनि भव्य प्राणी रूप कमल के प्रबोध के लिये, प्रकाशमान ज्ञान रूपी किरण युक्त दिवाकर स्वरूप केवली श्रीदत्तमुनि पृथ्वी में ग्रामानुग्राम विचरने लगे। Ho ; . पारस में और संत में, बड़ा ही अन्तर जान / . एक लोहा कंचन करे, एक करे आप समान ||1|| चेतन तें ऐसी करी, ऐसी न करे कोय / विषया रस के. कारणे, सर्वस्व बेठो खोय / / 2 / / जो चेताये तो चेतजे, जो बुझाय तो बुझ / ____खानारा सौ खाई जशे, माथे पडशे तुझ // 3 / / P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust