________________ - बारया शर्गःमंगलमूर्ति श्री पार्श्वनाथ 107-45 विक्रमचरित्र के ललाट में फूफी-भआ तिलक कर रही है 597 108-46 महाराजा विक्रमादित्य का लाक्षणिक चित्र ... ... 602 109-47 सुरसुदरी के पास मणिमय सिंहासन पर बेठ कर महाराजा ___ कथा सुनाते है ... ... ... ... 603 110-48 सुथार प्रथम प्रहर में काष्ट की पुतली को घड रहा है... 607 111-49 कपडेका व्यापारी-दोशी पुतली को कपडे से सजा रहा है 608 111-50 भीम भट्टारिका देवी के म दिर में जा रहा है... ... 611 113-51 सोम की स्त्री देवी के मन्दिर में बलिदान देने को तैयार हुई 613 114-52 वीरनारायण और देवी... ... 115-53 रूक्मिणी और नारद ... ... ... ... 623 116-54 नारद और मेघवती ... 117-55 कमलाने रूक्मिणी को कुएमें धक्का दिया ... 118-56 राजा, राणी और कंकण 119-57 राजा और रूक्मिणी ... .. 120-58 परकाय प्रवेश की विद्या देनेवाले योगी को महाराजा और ब्राह्मण नमस्कार करते है ... 121-59 कमलादेवी पट्टराणी पोपट-शुकको छै सो मोहरमे खरीद रही है 644 122-60 दुष्ट ब्राह्मण शुक के शरीर में और महाराजा विक्रम ... 646 5 mm au w 0 જૈનધર્મનાં દરેક ભાષાનાં, દરેક વિષયનાં પુસ્તકે માટે અમને પૂછો:– જૈન પ્રકાશન મંદિર 306/4 शीवानी पोण, समहापा-१ P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust